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आयुर्वेद में खिचड़ी का महत्व

आयुर्वेद( Ayurveda)के दैव विपाश्रय चिकित्सा में चावल को चंद्रमा के रूप में माना जाता है।

चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है।

काली उड़द की दाल को शनि का प्रतीक माना गया है।

हल्दी बृहस्पति का प्रतीक है।

नमक को शुक्र का प्रतीक माना गया है।

हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं।

खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है।

इस प्रकार खिचड़ी खाने से सभी प्रमुख ग्रह मजबूत हो जाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन नए अन्न की खिचड़ी(khichdi)खाने से शरीर पूरा साल आरोग्य रहता है। 

मकर संक्रांति को खिचड़ी के रूप में मनाये जाने के पीछे बहुत ही पौराणिक और शास्त्रीय मान्यताएं हैं। मकर संक्रांति के इस पर्व पर खिचड़ी का काफी महत्व है। मकर संक्रांति के अवसर पर कई स्थानों पर खिचड़ी को मुख्य पकवान के तौर पर बनाया जाता है।

खिचड़ी को आयुर्वेद में सुंदर और सुपाच्य भोजन की संज्ञा दी गई है। साथ ही खिचड़ी(khichdi)को स्वास्थ्य के लिए औषधि माना गया है। प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार जब जल नेती की क्रिया की जाती है तो उसके पश्चात् केवल खिचड़ी खाने की सलाह दी जाती है। 

आयुर्वेद( Ayurveda)के अनुसार इस मौसम में चलने वाली सर्द हवाएं कई बीमारियों की कारण बन सकती हैं। इसलिए प्रसाद के तौर पर खिचड़ी, तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने का प्रचलन है। तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इन सभी चीजों के सेवन से शरीर के अंदर गर्मी भी बढ़ती है।
खिचड़ी इस तरह के पौष्टिक औषधीय लाभ प्रदान करती है, जब लगातार कई दिनों तक मोनो-डाइट के रूप में खाया जाता है, तो खिचड़ी शरीर और मन के लिए एक लंघन है।

इस तरह, खिचड़ी वास्तव में एक चिकित्सा व्यंजन है,

वैद्या कांचन सुर्यवंशी

https://www.bhaskar.com/local/uttar-pradesh/ayodhya/news/resolved-to-serve-following-the-order-of-founder-acharya-srila-prabhupadaayodhya-iskcon-founder-acharya-srila-prabhupada-makar-sankranti-khichdi-prasadam-dm-ayodhya-up-government-130801608.html

https://www.vskkokan.org/2023/01/03/1009-3/

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