Opinion

भारतीय नौसेना

देश के कुछ लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि भारतीय नौसेना दिवस और स्थापना दिवस अलग अलग है हालांकि इसकी जानकारी कम लोगों को क्यों है इस पर बात नहीं करेंगे, इसे सिर्फ जानकारी का अभाव ही कह सकते हैं या फिर देश की सेना के प्रति कम रुचि का होना भी एक कारण हो सकता है। खैर इस पर बात ना करते हुए हम यह बताना चाहते हैं कि 4 दिसंबर 2021 को नेवी अपना 50वां नौसेना दिवस मनाने जा रही है। भारतीय नौसेना हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस (Navy Day) मनाती है। इस खास दिन पर पूरे देश के अलग अलग शहरों में नौसेना की तरफ से कार्यक्रम किये जाते हैं और नौसेना के वीर जवानों के हैरतअंगेज कारनामे देख लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते है।

देश की आजादी के बाद जितने भी युद्ध हुए उसमें सभी सेनाओं के साथ नौसेना का योगदान भी काबिले तारीफ रहा है। देश के अंदर हुए आतंकी हमले और आपदा के दौरान भी नेवी ने अपना लोहा मनवाया है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि नौसेना का इतिहास बहादुरी से भरा पड़ा है। वैसे भारत में नेवी की स्थापना 1612 की मानी जाती है लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज को नौसेना का जनक (Father of Indian navy) कहा जाता है। 1612 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने जहाजों की रक्षा के लिए ‘ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन’ नाम से एक सेना गठित की थी जिसे बाद में ‘रॉयल इंडियन नौसेना’ का नाम दिया गया और फिर देश की आजादी के बाद 1950 में इसे ‘भारतीय नौसेना’ (Indian Navy) कर दिया गया।    

नौसेना दिवस मनाने को लेकर भी एक विशेष वीरता की कहानी है। सन 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच भीषण युद्ध हुआ था जिसमें भारत को जीत हासिल हुई और पाकिस्तान बहुत ही बुरी तरह से हारा गया। पाकिस्तान की हार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस युद्ध में पाकिस्तान को एक तिहाई थल सेना, आधी नौसेना और एक चौथाई वायु सेना को गंवाना पड़ा था। उधर युद्ध के दौरान 4 दिसंबर 1971 को ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत भारतीय नौसेना ने कराची के नौसैनिक अड्डे पर हमला बोल दिया जिससे पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हुआ और भारत के लिए यह एक बड़ा सफल ऑपरेशन रहा। इस सफलता के बाद से हर साल 4 दिसंबर को ‘नौसेना दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा।

ऑपरेशन ट्राइडेंटऑपरेशन ट्राइडेंट की सफलता के बाद ही नौसेना दिवस मनाने का काम शुरु हुआ इसलिए ऑपरेशन ट्राइडेंट को समझना बहुत जरूरी है। भारत पाक युद्ध के दो महीने पहले अक्टूबर 1971 का समय था, तत्कालीन नेवी चीफ एडमिरल एसएम नंदा ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की और देश की सुरक्षा को लेकर जानकारी दी। इस दौरान नौसेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से सवाल किया था कि अगर हम पाकिस्तान के कराची बेस पर हमला करे तो क्या सरकार को कोई नुकसान होगा? इंदिरा गांधी ने जब इस सवाल का कारण पूछा तो नेवी चीफ ने कहा कि 1965 के युद्ध में भारतीय सेना को सीमा से बाहर जाने के लिए मना किया गया था जिसका खामियाजा सेना को चुकाना पड़ा था। जिसके बाद इंदिरा गांधी ने कहा कि If there is a war, There is a war.(इफ देयर इज ए वॉर, देयर इज ए वॉर) यानी अगर युद्ध होगा तो फिर युद्ध ही होगा। इसके बाद कराची नौसेना बेस पर हमले का प्लान तैयार किया गया और फिर 4 दिसंबर 1971 को कराची नेवी बेस पर हमला बोल दिया गया। भारतीय नौसेना ने इस युद्ध में एंटी शिप मिसाइल का इस्तेमाल किया जिससे पाकिस्तानी सेना के तीन बड़े जहाज डूब गये। गोला बारूद ले जाने वाली जहाज और तेल के कई टैंकरों को भी तबाह कर दिया गया। कराची तेल डिपो में लगी आग सात दिनों तक जलती रही। इन आग की लपटों को 60 किमी दूरी से देखा जा सकता था। भारतीय नौसेना का यह हमला पाकिस्तान हमेशा याद रखेगा।

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