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अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा कर्णावती में संपन्न

मुंबई,  १५ मार्च।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ११ से १३ मार्च तक कर्णावती में संपन्न हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक हर साल होता है जिसमें वर्ष भर किये गए कार्यों की समीक्षा की जाती है और आनेवाले साल के लिए कार्यों का नियोजन किया जाता है। इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी कोंकण प्रान्त के प्रांतीय कार्यवाह विट्ठलराव कांबले  ने आजाद मैदान स्थित मुंबई मराठी पत्रकार संघ में आहूत पत्रकार परिषद् में दी। इस अवसर पर  प्रांतीय प्रचार प्रमुख अजय मुड़पे भी उपस्थित थे।      

विट्ठलराव कांबले  ने बताया कि कोरोना प्रतिबंधों के कारण इस वर्ष १२५२ कार्यकर्त्ता उपस्थित थे। प्रत्येक तीन वर्षों पर संघ के काम के विस्तार की योजना बनाई जाती है। उसकी समीक्षा के लिए वर्ष में दो बार बैठक होती है। देश के ग्राम्यांचलों के ५० प्रतिशत मंडलों में दैनिक शाखा , साप्ताहिक मिलन के रूप में संघकार्य किये जा रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में ४५  से ५० प्रतिशत लोगों के बीच संघ शाखा अथवा साप्ताहिक मिलन चल रहे हैं। अगले दो वर्षों में ये कार्य पूरा  करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।इसके लिए योजना तैयार कर पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को दायित्व दिया जा चुका है। 

वर्तमान वर्ष भारत की आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष भी है।  भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष करना मात्र ही सपना नहीं था बल्कि देश को समृद्ध भारत देश बनाना भी  लक्ष्य था। उस सपने को पूरा करने का काम नई पीढ़ी को करना है। इसका विचार बैठक में होने की जानकारी उन्होने दी। 

भारत की अपार क्षमता है और उसका उपयोग कर देश आत्मनिर्भर हो सकता है। इसके लिए सरकार के साथ -साथ समाज को भी कार्य करना होगा। स्वावलम्बी भारत के निर्माण के लिए स्वदेशी आर्थिक मॉडल ( प्रारूप / योजना ) की आवश्यकता है । इसके लिए शिक्षण संस्थाओं – उद्योग जगत , सामाजिक एवं धार्मिक नेतृत्व सभी को मिलकर प्रयास और काम करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया।

अ.भा.प्र. बैठक के अंतिम दिन आयोजित प्रेस वार्ता में मा. सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी का पत्रकारों से  संबोधन ।

‘स्व’ पर आधारित जीवनदृष्टि को पुनः स्थापित करने हेतु प्रतिबद्ध हों – मा. दत्तात्रेय होसबले

स्वाधीनता का अमृत महोत्सव – स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर

भारत इस वर्ष स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह अवसर शताब्दियों से चले ऐतिहासिक स्वतंत्रता संग्राम का प्रतिफल और हमारे वीर सेनानियों के त्याग एवं समर्पण का उज्ज्वल प्रतीक है। भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता थी कि यह केवल राजनैतिक नहीं, अपितु राष्ट्रजीवन के सभी आयामों तथा समाज के सभी वर्गों के सहभाग से हुआ सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन था। इस स्वतंत्रता आन्दोलन को राष्ट्र के मूल अधिष्ठान यानि राष्ट्रीय “स्व” को उजागर करने के निरंतर प्रयास के रूप में देखना प्रासंगिक होगा।

इस उपनिवेशवादी आक्रमण का व्यापारिक हितों के साथ भारत को राजनैतिक- साम्राज्यवादी और धार्मिक रूप से गुलाम बनाने का निश्चित उद्देश्य था। अंग्रेजों ने भारतीयों के एकत्व की मूल भावना पर आघात करके मातृभूमि के साथ उनके भावनात्मक एवं आध्यात्मिक संबंधों को दुर्बल करने का षड्यंत्र किया। उन्होंने हमारी स्वदेशी अर्थव्यवस्था, राजनैतिक व्यवस्था, आस्था-विश्वास और शिक्षा प्रणाली पर प्रहार कर स्व-आधारित तंत्र को सदा के लिए विनष्ट करने का भी प्रयास किया।

यह राष्ट्रीय आन्दोलन सार्वदेशिक और सर्वसमावेशी था। स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद आदि आध्यात्मिक नेतृत्व ने देश के जन और जननायकों को ब्रिटिश अधिसत्ता के विरुद्ध सुदीर्घ प्रतिरोध हेतु प्रेरित किया। इस आन्दोलन से महिलाओं, जनजातीय समाज तथा कला, संस्कृति, साहित्य, विज्ञान सहित राष्ट्रजीवन के सभी आयामों में स्वाधीनता की चेतना जागृत हुई। लाल-बाल-पाल, महात्मा गाँधी, वीर सावरकर, नेताजी-सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, वेळू नाचियार, रानी गाईदिन्ल्यू आदि ज्ञात-अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों ने आत्म-सम्मान और राष्ट्र-भाव की भावना को और प्रबल किया। प्रखर देशभक्त डॉ. हेडगेवार के नेतृत्व में स्वयंसेवकों ने भी अपनी भूमिका का निर्वहन किया।

 भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में कतिपय कारणों से ‘स्व’ की प्रेरणा क्रमशः क्षीण होते जाने से देश को विभाजन की विभीषिका झेलनी पडी। स्वतन्त्रता के पश्चात् इस स्व की भावना को राष्ट्र-जीवन के सभी क्षेत्रों में अभिव्यक्त करने का हमें मिला हुआ सुअवसर कितना साध्य हो पाया, इसका आकलन करने का भी यह उचित समय है।

भारतीय समाज को एक राष्ट्र के रूप में सूत्रबद्ध रखने और राष्ट्र को भविष्य के संकटों से सुरक्षित रखने के लिए ‘स्व’ पर आधारित जीवनदृष्टि को ढृढ़ संकल्प के साथ पुनः स्थापित करना आवश्यक है। स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ हमें इस दिशा में पूर्ण प्रतिबद्ध होने का अवसर उपलब्ध कराती है।

यह संतोष का विषय है कि अनेकानेक अवरोध रहते हुए भी भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय प्रगति की है, लेकिन यह भी सत्य है कि भारत को पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य अभी शेष है। तथापि अब एक दूरदर्शी सोच के साथ आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लेकर देश एक सही दिशा में बढ़ने के लिए तत्पर हो रहा है। यह आवश्यक है कि छात्रों और युवाओं को इस महाप्रयास में जोड़ते हुए, भारत-केन्द्रित शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन करते हुए भारत को एक ज्ञानसम्पन्न समाज के रूप में विकसित और स्थापित किया जाए तथा भारत को विश्वगुरु की भूमिका निभाने के लिए समर्थ बनाया जाए। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर हमें अपने ‘स्व’ के पुनरानुसंधान का संकल्प लेना चाहिए, जो हमें अपनी जड़ों से जुड़ने और राष्ट्रीय एकात्मता की भावना को परिपुष्ट करने का अवसर उपलब्ध कराता है।

देशभरातील संघाची कार्यस्थिती

 २०२१२०२२
स्थान३४५६९३८३९०
कुल शाखा५५६५२६०९२९
संघ मंडली७६५५७९२३
साप्ताहिक मिलन१८५५३२०६८१

कोकण प्रांत कार्यस्थिती

 स्थानसंख्या
शाखा२४५५७२
संघ मंडली५८७३
साप्ताहिक मिलन३११३८६

कार्यविभाग वृत्त 

 शारीरिक विभाग

अखिल भारतीय प्रहार महायज्ञ

अखिल भारतीय प्रहार महायज्ञ में  ५६३ पैकी ४३७ शाखा और २४५पैकी १८९ साप्ताहिक मिलन का सहभाग होता।  ६५०१ स्वयंसेवकों ने  १९ लाख ६३ हजार ९८६ प्रहार किया और  ५८४ स्वयंसेवकों ने  १००० पेक्षा अधिक प्रहार किये।  इसकी ३१ शाखाओं में  २५  की अपेक्षा  अधिक उपस्थिति रही। 

सूर्यनमस्कार अभियान २०२२ 

अमृत महोत्सवानिमित्त ७५ कोटी सूर्यनमस्कार संकल्प अभियान किये गए जिसके अनुसार  व्यक्तिगत ५९१४, ९४० सहकुटुंब, १६७४ सामूहिक कार्यक्रम हुए . कार्यक्रम में एकल  ४२६०४ पुरुषांनी ८८७४४२, ६३०६० बच्चे  ११३४४९१, ११४१९२ महिलायें  ६२२०८८ और  ४७४३६ बच्चियों ने  ९४२१७४ सूर्य नमस्कार किये। प्रांत में ३५ लाख ८६ हज़ार १९५ सूर्य नमस्कार किये गए।

नवी मुंबई में अखंड भारत संकल्प दिवस के निमित्त  उठक-बैठक प्रतिस्पर्धा का आयोजन हुआ जिसमें जिसमें जिले के  १० नगरों में ९ ने सहभाग किया। कुल  ९ नगरों में  ३२ शाखाओं ने  सहभाग करके अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। कुल  २३८ स्वयंसेवकों ने  १८,९३६  दण्डबैठक किये। 

घोष वर्ग

भिवंडी जिला के घोष वर्ग वाशिंद में संपन्न हुआ इसके वर्ग में कुल  ४७ शिक्षार्थी व ६ शिक्षक यानी कुल ५३ लोगों ने सहभाग किया। 

पार्ले विभाग के संचलन गीत स्पर्धा में कुल  ४२ बाल स्वयंसेवकोण ने भाग लिया। .  

लक्ष्य भेद स्पर्धा  

वसई में संपन्न  लक्ष्य भेद स्पर्धा  में १५ से  ३५  आयुवर्ग के तरुणों ने भाग लिया  इसमें कुल  ७ नगर, २ तालुका ७  नगर और  १ तालुका के स्वयंसेवक सहभागी हुए इस तरह कुल  ११४  तरुणों ने सहभागिता की। नालासोपारा पश्चिम नगर के  १३  कार्यकर्ताओं ने व्यवस्था संभाली।  इस प्रकार कुल  १२७ स्वयंसेवकोण ने इस कार्यक्रम में सहभाग किया।

बौद्धिक विभाग

बौद्धिक विभाग की ओर से १ से  ३१ जुलाई  २०२१ के बीच  निबंध प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया गया था इसके लिए  कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण और  सामाजिक समरसता विषय देकर ऑनलाइन निबंध मंगवाए गए। कुल  ६० लोगों ने इसमें भाग लिया। इस प्रतिस्पर्धा में  कुटुंब प्रबोधन पर  २७, पर्यावरण पर  २३, समरसता पर १० निबंध प्राप्त हुए। इसमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करनेवाले विजेताओं को क्रमशः  ११००/- , ७५०/- और  ५००/- रूपये मूल्य की  पुस्तके कोविद नियमों का पालन करते हुए उनके घर जाकर दिया गया।  उसके सर्वोत्तम निबंधों को “साप्ताहिक  विवेक” पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया।

गतिविधी

समरसता

समरसता विषयक उपक्रमांकों के सन्दर्भ में ऑनलाईन और  प्रत्यक्ष  २५ बैठक बीते वर्षभर हुए। इसके आलावा  अण्णाभाऊ साठे जयंती, लहुजी साळवे जयंती, भगवान वाल्मिकी प्रकट दिन, भगिनी निवेदिता जयंती, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती, बुद्ध पौर्णिमा, संत रविदास जयंती पर  विशेष कार्यक्रम  का  आयोजन भी किया गया।

संविधान विषय पर जागरूकता के लिए यशवंत भवन में एक दिवसीय वक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम भी किये गए जिसमें ९५ लोग उपस्थित हुए। इसके साथ ही   दिनांक २१ से  २८ नवंबर के बीच  संविधान सप्ताह मनाया गया। सभी प्रांतों के  ५६० स्थानों पर  संविधान दिवस कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें  ८९१८ लोग    उपस्थित रहे।

धर्मजागरण

कोकण प्रांत धर्मजागरण समन्वय गतिविधि के तहत धार्मिक व सामाजिक  संस्थाओं के प्रयत्न से पालघर (मोखाडा, जव्हार, विक्रमगड) ठाणे (वसई शहर, शिरसाट) रायगड ( अलिबाग, कर्जत) मुंबई महानगर (गोरेगाव, बोरीवली, मार्वे, मुलुंड, घाटकोपर) और  सिंधुदुर्ग कुल  २५ स्थानों पर  संत पदयात्रा संपन्न हुआ।

शहरी क्षेत्रों के बस्तियों के साथ -साथ  ग्रामीण क्षेत्रों के गांव  पाडा में जाकर साधु -संतों द्वारा हिंदूभाव जागरण के काम कराने की कल्पना थी।  मालाड के अंबुज वाडी मालवणी में संत पदयात्रा का  आयोजन किया गया। महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी काशीदास महात्यागी के सानिध्य में  संत पदयात्रा संपन्न हुआ जिसमें  स्वामी जी के  शिष्य रामदास पदयात्रा में सम्मिलित हुए। दो घंटों की इस पदयात्रा मजे हिंदू समाज ने बड़ी संख्या में सहभागिता की। लगभग ५०० लोगों की सहभागिता की इस यात्रा में महिलायें भी बड़ी संख्या में उपस्थित थीं। इसके समापन समारोह को स्वामी काशी दास महात्यागी ने सम्बोधित किया और ॐ लॉकेट का वितरण किया गया जिसमें २०० से अधिक लोग उपस्थित  थे।

गो -सेवा

गोसेवा गतिविधियों के तहत इस वर्ष 42 स्थानों पर आयोजित कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविरों में 14 जिलों के 56 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। 259 गांवों में 42 स्थानों पर किसान प्रशिक्षण वर्ग संचालित की गईं। इसमें 2685 किसानों ने भाग लिया। इसमें से 553 किसान गाय आधारित खेती कर रहे हैं। 8 जगहों पर पंचगव्य से उत्पाद बनाए जा रहे हैं।

48 गांवों के 126 गोपालक घरों में कुल 2,24,410 गोमय दीपक बनाए गए। 12 स्थानों से 170 गोमय गणपति मूर्ती वितरित किए गए। 19 स्थानों पर परिसंवाद आयोजित किए गए जिसमें 936 पुरुषों और महिलाओं ने भाग लिया। 10 स्थानों पर गोकथा कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें 606 लोग मौजूद थे। फिलहाल 80 गौशाला और मंदिर संपर्क में हैं।

परिवार जागरूकता गतिविधि:

परिवार जागरूकता के विषय पर सभी प्रान्तों में व्यापक कार्य चल रहा है। वर्ष के दौरान 4 स्थानों पर कार्यकर्ता प्रशिक्षण कक्षाएं आयोजित की गईं। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पारिवारिक योग सप्ताह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न स्थानों पर अष्टांग योग के नियम-कायदों पर पारिवारिक चर्चा हुई। इस तरह के कार्यक्रम 21 जिलों में आयोजित किए गए।

राज्य भर में लगभग 21 स्थानों पर प्रमुख कोरोना के  रोकथाम उपायों के लिए कार्यशालाएं आयोजित की गईं। श्रावण मास के दौरान स्कूली बच्चों के लिए संस्कृति जागरण के उद्देश्य से विभिन्न पौराणिक कथा सुनाने के कार्यक्रम आयोजित किए गए। तीसरी कोरोना लहर के लिए बाल स्वास्थ्य रोकथाम उपायों पर प्रांतीय स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित की गईं।

साथ ही 15 विभिन्न जिलों में कार्यशालाएं भी आयोजित की गईं। स्कूली छात्रों के लिए कहानी सुनाने की गतिविधियों के साथ-साथ गोरेगांव युवा बैठक का भी आयोजन किया गया। इसमें 75 लोगों ने हिस्सा लिया था। बोईसर (पालघर) और गोवा में 10 जगहों पर हुई बैठक में कुल 79 लोगों ने हिस्सा लिया था. कुल 25 स्थानों पर कुटुंबमीलन  आयोजित किए गए। कुल मिलाकर नवदाम्पत्य सम्मेलन  15 जगहों पर हुए ।15 जगहों पर महिला एकत्रीकरण  और 5 जगहों पर शिक्षक एकत्रीकरण हुई। भारतीय मजदूर संघ  के माध्यम से 12 स्थानों पर संस्था / ज्ञाति  बैठकें आयोजित की गईं और 25 स्थानों पर पारिवारिक मिलन आयोजित किया गया। कोरोना के मुश्किल समय में अनुभव लेखन उपक्रम चलाया गया। उसमें कुछ परिवारों ने अपने अनुभव लिखकर भेजें। समाज की आवाहन के बाद इसमें 113 परिवारों ने हिस्सा लिया. ज्यादातर महिलाओं ने अपने पारिवारिक अनुभव लिखिकर भेजे।

चयनित परिवारों को आने के लिए प्रोत्साहित किया गया। परिवार के कुछ सदस्यों को गतिविधि कार्यकर्ता के रूप में जोड़ा गया था। कई जगहों पर कुछ नए युवा वर्ग के साथ-साथ मातृ शक्ति को जोड़ा गया।

पर्यावरण

पर्यावरण जागरूकता पर संघ का काम मार्च 2019 से शुरू हुआ। इसके तहत पानी, वृक्षारोपण और प्लास्टिक के प्रति जागरूकता पैदा की जाती है। पानी की बर्बादी, अधिक वृक्षारोपण और वृक्ष संरक्षण के साथ-साथ प्लास्टिक मुक्त जीवन पर जागरूकता बढ़ाने के लिए लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन और लाइव कार्यक्रम आयोजित किए गए। निसर्ग प्रेमी मित्र मंडल बदलापुर, पक्षी अभयारण्य डोंबिवली, श्री आई प्रतिष्ठान, नवी मुंबई के साथ एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई। इसमें वृक्षारोपण, वृक्षारोपण और अपशिष्ट प्रबंधन पर चर्चा की गई।

कल्याण स्थित बालक मंदिर (अंग्रेजी माध्यम) स्कूल के ऑनलाइन सत्र में पर्यावरण पर एक घंटे का सत्र (5 स्टार होम एंड होम कम्पोस्टिंग) आयोजित किया गया। इसमें करीब 100 छात्रों ने भाग लिया। नेरुल, कोपरखैरणे और वसई में साइकिल रैलियों में कुल 85 लोगों ने भाग लिया था। ठाकुर रामनारायण कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड आर्ट्स की मदद से जया नगर कॉलोनी, बोरीवली (पूर्व) में चार स्थानों पर सूखा कचरा संग्रह डिब्बे लगाए गए।

फ्लेक्स के माध्यम से सूखे कचरे के गठन की जानकारी भी प्रदान की गई। कोपरी में एक एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र पर्यावरणविदों के लिए एक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित किया गया है, जो दर्शाता है कि कचरे का उचित प्रसंस्करण और छंटाई कोई समस्या नहीं है, लेकिन कुछ रोजगार पैदा कर सकता है।

माई ग्रीन सोसाइटी, समस्त महाजन और गोवर्धन इको विलेज ने संयुक्त रूप से विक्रमगढ़ के वासुरी गांव में 10 से अधिक पोखरों को चौड़ा किया। विक्रमगढ़ तालुका की 3 शाखाओं के स्वयंसेवकों ने कुएं से कीचड़ निकालकर कुएं की सफाई की। इसमें 3 शाखाओं के 35 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया बदलापुर के 22 प्रकृति प्रेमियों के एक समूह के साथ उनके द्वारा लगाए गए 550 पेड़ों की निगरानी की गई।

कल्याण पूर्व में सार्वजनिक शिव जयंती उत्सव मंडल ने 6,000 विभिन्न प्रकार के पेड़ों के माध्यम से छत्रपति शिवाजी महाराज की एक छवि बनाई थी। इन सभी पेड़ों को विभिन्न सामाजिक संस्थाओं को दान किया जाएगा। सबसे अधिक वृक्षारोपण करने वाली संस्थाओं को अगले वर्ष पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया।

वसई गांव में सुरुचिबाग बीच सफाई अभियान का आयोजन ध्यास फाउंडेशन वसई द्वारा किया गया था। 35 सदस्यों और पर्यावरणविदों और बच्चों ने योगदान दिया और 15 प्लास्टिक बैग भर कर कचरा इकठ्ठा किया गया। कूड़ा उठाने वाली 16 महिलाओं को गैस चूल्हे और सिलिंडर बांटे गए।

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