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देश के लिए घंटों समुद्र में तैरते रहे क्रांतिकारी सावरकर

सावरकर को कितना जानते हैं हम’ श्रृंखला – लेख ३


भारत में पुलिस ने जैक्सन के हत्यारों को गिरफ्तार किया तो उनके पास से वीर सावरकर के पत्र बरामद हुए। पुलिस को पता चला कि जैक्सन की हत्या में जिस ब्राऊनिंग पिस्टल का उपयोग हुआ था वो इंग्लैंड से भारत सावरकर ने भिजवायी थी। इस आधार पर भारत से सावरकर के नाम एक वारंट लंदन भेजा गया . और १३ मार्च, १९१० को उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। २९ जून १९१० को ब्रिटिश सरकार के राज्य सचिव विंस्टन चर्चिल की तरफ़ से एक आदेश जारी हुआ कि एक विशेष शिप से सावरकर को भारत भेजा जाए और वहां उन पर मुक़दमा चले। इसके दो दिन बाद यानी एक जुलाई को सावरकर को लेकर एक विशेष शिप भारत के लिए रवाना हुआ। ६ जुलाई को फ़्रांस के नज़दीक उसमें कुछ ख़राबी आती है तो उसे फ्रांस के मार्सेलिस बंदरगाह के किनारे रोका जाता है। मौक़ा पाकर सावरकर शिप के टॉयलेट होल से समंदर में कूद जाते हैं और तैरते हुए किनारे तक पहुंच जाते हैं।


फ़्रांस ब्रिटेन से अलग था इसलिए सावरकर को लगा यहां उन्हें राजनैतिक आश्रय मिल जाएगा। वे दौड़ते -दौड़ते एक फ़्रेंच पुलिस वाले के पास पहुँचते और उसे अपनी बात समझाने की कोशिश करते हैं। भाषा की अड़चन तो थी ही, साथ ही जहाज़ से पीछा करते हुए ब्रिटिश पुलिस भी वहाँ पहुंच जाती है। चोर चोर का शोर होता है और सावरकर को गिरफ़्तार कर लिया जाता है। मामला इंटरनेशनल कोर्ट पहुंचता है. इसके बाद २५ अक्टूबर १९१० को फ़्रेंच और ब्रिटिश सरकार के बीच एक समझौता होता है. और सावरकर ब्रिटेन के हवाले कर दिए जाते हैं। २४ दिसम्बर १९१० के दिन सावरकर को दोषी ठहराते हुए 2 आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है. कुल पचास साल। ४ जुलाई, १९११ को सावरकर काला पानी पहुंचते हैं और उन्हें अंडमान की सेलुलर जेल में डाल दिया जाता है।

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