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डॉ. हेडगेवार के ‘जंगल सत्याग्रह’ के यादो को मिलेगा उजाला; करलगांव में बनेगा म्यूजियम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक अध्यक्ष तथा प्रथम सरसंघचालक डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार द्वारा १९३० में अर्थात ९१ साल पहले महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के करलगांव घाट में जंगल सत्याग्रह किया था । इसी सत्याग्रह स्थल करलगांव घांट में एक भव्य म्यूजियम बनाया जायेगा। म्यूजियम में, सत्याग्रह की याद ताजा करनेवाली बातों को प्रतिमा के माध्यम से सजाया जायेगा। डॉ. हेडगेवार के जीवनकार्य के सब बाबी यहाँ रहेंगी। पुस्तकालय और विविध आंदोलन के अलग अलग प्रकारके शिल्प इस म्यूजियम में रहेंगे। जो यवतमाल का एक विशेष आकर्षण बननेवाला है।

इस वर्ष भारतीय स्वतंत्रता की ७५ वीं वर्षगांठ है। इसी के चलते पूरे देश में कार्यक्रम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर रही ‘दांडी यात्रा’ के आयोजन को ९१ वर्ष पूरे हो रहे हैं। महाराष्ट्र के विदर्भ में ‘दांडी यात्रा’ या नमक सत्याग्रह का रूप जंगल सत्याग्रह है। यह सत्याग्रह संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार की अगुवाई में हुआ था।

स्वातंत्र्य के पूर्व काल में भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन चल रहा था, तभी १९३० के दौरान विदर्भ और मध्यप्रांत जंगल सत्याग्रह करने का निश्चय किया गया था। विदर्भ और मध्यप्रांत में मिठागर न होने के कारन जंगल सत्याग्रह करने का निश्चय किया गया. तभी लोकनायक बापूजी ने जिला के पुसद परिसर की धुंदी जंगल में जंगल सत्याग्रह का आंदोलन प्रारंभ किया था। उसी के महत्वपूर्ण भाग के तौर पर डॉक्टर हेडगेवार के नेतृत्व में यवतमाल के करलगांव घांट में २१ जुलाई १९३० को जंगल सत्याग्रह किया गया था। यवतमाल के धामणगांव रस्ते की धरणगांव घाट में जंगल सत्याग्रह हुआ था, उसी समय डॉक्टर हेडगेवार के साथ दस हजार नागरिकोंने जंगल सत्याग्रह किया था। डॉक्टर के साथ ११ आंदोलनकर्ताओं को ९ माह की जेल भी हुई थी। उन्हें यवतमाल के कारागृह में रखा गया था। नतीजतन डॉ. हेडगेवार के सम्मान में यहा म्यूजियम बनाया जाएगा।। यवतमाल में दीनदयाल बहुउद्देशीय प्रसारण बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गजानन परसोडकर ने इस संग्रहालय को ले कर प्रस्ताव दिया था।

इस संबंध में दीनदयाल बहुउद्देशीय प्रसारण बोर्ड के सीईओ गजानन परसोडकर ने कहा कि दीनदयाल बहुउद्देशीय प्रसारण बोर्ड के कार्यक्रम में शामिल होने सांसद राकेश सिन्हा २०१८ में यवतमाल आए थे। राकेश सिन्हा ने डॉ. हेडगेवार का चरित्र लिखा है। नतीजतन उन्हें डॉ. हेडगेवार की अगुवाई में हुए जंगल सत्याग्रह का पूरा इतिहास पता है। सांसद सिन्हा ने पुसद में संग्रहालय बनाने को ले कर राज्यसभा में सवाल पूछा था। अब आजादी के अमृत महोत्सव के चलते सरकार ने संग्रहालय की डीपीआर भेजने को कहा है। परसोडकर ने कहा कि उन्हें खुशी है कि संस्कृति मंत्रालय के अनुदान के तहत संग्रहालय विकसित किया जाएगा।

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