HinduismOpinion

वीर सावरकर का नाम पर इठलाता है डाकटिकट और हवाई अड्डा भी

सावरकर को कितना जानते हैं हम’ श्रृंखला – लेख ७

देश भर में सावरकर को ‘भारत रत्न’ देने की मांग के बीच यह बहस तेज हो गई है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को उतना महत्व नहीं दिया गया जिसके वे हकदार हैं। हालांकि सावरकर का एक वीर योद्धा और इतिहास लेखक के रूप में सम्मान इंदिरा गांधी भी करती थीं। मई 1970 में इंदिरा गांधी ने सावरकर पर डाक टिकट जारी करते हुए कहा था, ‘हम सावरकर के खिलाफ नहीं हैं। वे जीवन भर जिस हिंदुत्ववादी विचार का समर्थन करते रहे, हम उसके जरूर खिलाफ हैं।’ वीर सावरकर के नामपर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है जिसे , (आईएटीए: IXZ, आईसीएओ: VOPB) जिसे सामान्यतः पोर्ट ब्लेयर विमानक्षेत्र कहते हैं पोर्ट ब्लेयर से 2 कि॰मी॰ (1.2 मील) दक्षिण में स्थित है। यहाँ कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 5700 फीट है। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है।


इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर रखा गया है। उन्होंने यहाँ की सेल्यूलर जेल में ४ जुलाई १९११ से २१ मई १९२१ तक का समय कारावास में बिताया था। देश की आजादी के लिए संघर्षरत सावरकर को 24 सितंबर 1910 को दोहरे आजीवन कारावास की सजा दी गई और उन्हें अंडमान-निकोबार की कालापानी जेल भेज दिया गया। यहां की काल-कोठरी में अमानवीय अत्याचार भोगते हुए उन्होंने करीब एक दशक यातनापूर्ण जीवन गुजारा। इस कोठरी पर भी कालजयी साहित्य की वे रोजाना नई पंक्तियां लिखते थे और उन्हें कंठस्थ करने के बाद मिटाकर फिर नई पंक्तियां लिखते थे।

Back to top button