EnvironmentHealth and WellnessLife Style

प्‍लास्टिक फ्री होगा भगवान वेंकटेश्‍वर का दरबार;

देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति में भक्तों को अब प्लास्टिक देखने को नहीं मिलेगा. यहां भक्तों को जल्द ही बायोडिग्रेडेबल बैग में प्रसाद दिए जाएंगे. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी ने तिरुपति में बायोडिग्रेडेबल बैग लॉन्च किया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यहां लड्डू के लिए ईको-फ्रेंडली बायोडिग्रेडेबल बैग लेकर आया है.

देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक के रोक के बाद अब इसके कई विकल्प भी बाजार में जल्दी ही उपलब्ध होंगे। कई कंपनियां इस पर काफी समय से काम कर रही है। सरकार के विभाग भी ऐसी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित प्लास्टिक विकल्प मेले में ऐसे ही सिंगल यूज प्लास्टिक के कई विकल्प नजर आए । दिलचस्प बात ये है कि विकल्प के तौर पर प्रदर्शित की गई वस्तुएं पर्यावरण के लिए बेहद लाभदायक और अनुकूल हैं।

अब तक प्लास्टिक की थैलियों, चमच, प्लेट, कैरी बैग समेत कई तरह की सिंगल यूज प्लास्टिक की वस्तुओं को अपनाया जाता था। लेकिन 1 जुलाई से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट अमेंडमेंट रूल्स के तहत पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन, निर्यात, वितरण और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन अब विकल्प के तौर पर ऐसी वस्तुओं को इस्तेमाल किया जा सकेगा जो पर्यावरण के लिए लाभदायक होंगी और इससे प्लास्टिक प्रदूषण पर नकेल लगाई जा सकेगी।

INDIA – AUGUST 05: Devotees who have offered their hairs to Lord Venkateswara Temple area at Tirumala, Tirupati, Andhra Pradesh (for the TTD hair case study story for the Independence Day Special issue Tirupati Temple) (Photo by Hk Rajashekar/The The India Today Group via Getty Images)

डीआरडीओ के साथ कंपनी कर रही है काम,

डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर हैदराबाद स्थित कंपनी इकोलास्टिक, प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिए एक साल से काम कर रही है। कंपनी द्वारा भुट्टे से तैयार की गई थैलियों में पिछले 9 महीनों से आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद दिया जा रहा है। इस कंपनी का दावा है कि इन्होंने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे भुट्टे से थैलियों व अन्य वस्तुएं को तैयार किया जा सकता है। यह छह महीने में मिट्टी में घुल जाएंगी और यह सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए अच्छा विकल्प हैं। ऐसी ही कई वस्तुएं शुक्रवार को त्यागराज स्टेडियम में दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित तीन दिवसीय प्लास्टिक विकल्प मेले में देखने को मिली।

भारी कूड़ा इकट्ठा करने के लिए निगम भी कर सकता है इस्तेमाल

कंपनी के एप्लिकेशन डिवेलपमेंट स्पेशलिस्ट पी.नरसिम्हा रेड्डी ने तकनीक पर बात करते हुए बताया कि भुट्टे को खाने के बाद बचे मटेरियल का पाउडर तैयार होता है। उस पाउडर से दाने बनाए जाते हैं। उन दानों को मशीन में डालकर उससे सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प के लिए विभिन्न तरह की वस्तुओं को बनाया जा सकता है। देश भर की नगर निगम कूड़ा उठाने के लिए भी इस तकनीक से तैयार हुई थैलियों का उपयोग कर सकती हैं। कई अन्य कंपनियां इन दानों को लेकर इससे प्लास्टिक की जगह उपयोग होने वाली विभिन्न वस्तुओं को तैयार कर सकती हैं। रेड्डी के अनुसार अन्य कंपनियां रॉ मटेरियल के तौर पर हमारे द्वारा तैयार किए गए दानों को 200 से 400 रुपये प्रति किलो खरीद कर उनसे ग्लास, प्लेट व अन्य वस्तुओं को मैन्युफैक्चर कर सकते हैं। 1 रुपये प्रति प्रसाद की थैली के आकार की लागत आएगी। वहीं, 2 रुपये थोड़ी बड़ी थैली और 4 रुपये कूड़े को डालने वाली थैली की लागत आएगी।

सरकार को उद्योगों को दे रही हे टैक्स रिबेट,

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट एनजीओ के आंकड़ों के अनुसार देश भर में प्रति दिन 25,950 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। दिल्ली में प्रति दिन 689.8 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। टॉक्सिक्स लिंक एनजीओ की चीफ प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर प्रीति महेश ने बताया कि कंपनियों को सरकार ने एक साल का समय दिया था, सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प के लिए खुद को तैयार करने के लिए । लेकिन उन्होंने तैयारियां नहीं की। यह अच्छी बात है कि केंद्र व राज्य सरकार आगे आकर प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिए लोगों में जागरूकता फैला रही हैं।

बैंबू के ब्रश, ईयर बड भी कर सकेंगे इस्तेमाल,

पुणे स्थित बैंबू इंडिया कंपनी ने बैंबू लकड़ी से ब्रश, ईयर बड, कंगी समेत कई वस्तुओं को तैयार किया है। इसके अलावा इंडिया पॉल्युशन कंट्रोल एसोसिएशन (आईपीसीए) एनजीओ और स्टार्टअप ईकोंशियस ने शेम्पू की बोतल व ढक्कन जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक को रिसायकल करके बेंच, चेयर जैसी वस्तुएं भी तैयार की हैं।

Back to top button